बच्चे के गले में थी नाल, डॉक्टर ने रेफर किया, एंबुलेंस कर्मियों ने कराई डिलीवरी

गर्भवती महिलाओं के साथ ही नवजात को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। सुरक्षित प्रसव के लिए महतारी एक्सप्रेस एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। इस एंबुलेंस के कर्मचारी न केवल महिलाओं को समय पर अस्पताल पहुंचा रहे हैं, बल्कि उनकी सूझबूझ से जच्चा-बच्चा को नई जिंदगी भी मिल रही है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रविवार देर रात एंबुलेंस सेवा 102 बच्चे की किलकारी से गूंज उठी। सड़क किनारे महिला ने एंबुलेंस के अंदर ही बच्चे को जन्म दिया। अस्पताल ले जाने के दौरान दर्द से तड़पती महिला को देख कर्मचारियों ने सड़क किनारे ही एंबुलेंस को रोक दिया। इसके बाद महिला की डिलीवरी कराई। बताया जा रहा है कि बच्चे के गले में नाल फंसने से महिला का दर्द बढ़ गया था। फिलहाल जच्चा-बच्चा को कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।

डॉक्टरों ने हालत देख महिला को बिलासपुर रेफर किया
जानकारी के मुताबिक, कोटा के ग्राम पंचायत साजापाली निवासी एक महिला को रविवार रात प्रसव पीड़ा शुरू हुई। इस पर परिजनों ने रात करीब 10 बजे एंबुलेंस सेवा 102 को कॉल किया। इसके बाद एंबुलेंस से महिला को कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। उनके साथ ईएमटी अनिल जायसवाल और कैप्टन विजय साही थे। हालांकि महिला की हालत गंभीर देख अस्पताल से डॉक्टरों ने उसे बिलासपुर रेफर कर दिया। इस पर एंबुलेंस से वे महिला को लेकर सिम्स रवाना हुए।

रास्ते में हालत बिगड़ी तो डिलीवरी कराना तय किया
महिला का यह दूसरा बच्चा था। बताया जा रहा है कि बच्चे के गले में नाल फंस गई थी। इसके चलते महिला की हालत भी गंभीर हो गई थी। रास्ते में महिला को दर्द बढ़ता जा रहा था। यह देखकर उन्होंने एंबुलेंस की रफ्तार भी बढ़ा दी। बावजूद इसके महिला की हालत बिगड़ती देख एंबुलेंस कर्मचारियों ने ही रास्ते में डिलीवरी करवाना तय किया। कर्मचारियों ने ग्राम भुंडा भरारी के पास एंबुलेंस रोक दी। फिर सड़क किनारे ही ईएमटी और कैप्टन ने अपनी सूझबूझ से सफल प्रसव कराया

डिलीवरी के बाद महिला और बच्चा दोनों ठीक
इसके बाद एंबुलेंस से महिला को लेकर वापस कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और दोनों को भर्ती कराया। फिलहाल महिला बिरस्पति बाई और उसके बच्चे की हालत ठीक है। पति दीपक साहू ने इसके लिए एंबुलेंस कर्मचारियों को बहुत धन्यवाद दिया। उसका कहना है कि अगर एंबुलेंस कर्मचारी सूझ-बूझ से डिलीवरी नहीं कराते तो उसकी पत्नी और बच्चे की जान जा सकती थी। उनके फैसले से दोनों की जान बच गई। अब वे ठीक हैं।

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